Tuesday 5 August 2014

आस्तिक



आस्तिक हूँ मै मंदिर में जाता हूँ
मस्जिद गिरिजाघर गुरूद्वारे में भी
दुआ सलाम कर आता हूँ |

भगवान पे भी चंद दलालों का कब्ज़ा है
ये एक ऐसी बात है जो
हर जगह एक सी पाता हूँ |

जाता हु उस रब से कुछ मांगने
पर उसे दीवारों में कैद पाकर
उलटे पाँव वापस आ जाता हूँ |

फिर “विशाल” जब अपने आस पास
अपने घर परिवार पर नज़र घुमाता हूँ
तो उस खुदा के अनेक रूप इन रिश्तो में पाता हूँ |

                              विशाल सर्राफ “धमोरा”


No comments:

Post a Comment