Thursday, 26 March 2015

जवाब

गुजरा हूँ में कितने रेगिस्तानों से
ये हिसाब मेरे पैर के छालो से पूछो

सर्दी बहुत थी और तुम्हे हाथ तापने थे
उस अलाव की कीमत बस्तीवालों से पूछो 

संदेह की बारिश में कैसे टूटे रिश्ते
एक बार जरा मिट्टी की दीवालों से पूछो

क्यों लाल है तुम्हारे ये होंठ और जबान
इंसानी खून में सने उन निवालों से पूछो

मैं तो जानता हूँ मेरे जैसे इंसानो को
खुदा का पता उसके रखवालो से पूछो
-vishal sarraf dhamora

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